वो हमेशा कहा करती थी मेरे शहर छोड़ कर जाने पर बारिश होती थी।
मैं कहता शायद आसमान का दुःख बरसता है तो वो डांट देती। कहती की ये उसके आंसू थे। उसे रोते देखूंगा तो गुस्सा करूँगा ये सोच कर वो अपने आंसू मेरे आने से पहले आसमान के काले राख से रँगे बादलों में भर आती थी।
आज 7 महीने हुए उसे गए।
थोड़ी देर में मेरी भी ट्रेन प्लेटफार्म नॉ 4 पर आ जाएगी।
फ़िलहाल तो मैंने अपने सामान को कस कर पकड़ रखा है और उपर बादलों से टिप टिप बूंदा बाँदी शुरू हो चुकी है।